दिल्ली ब्यूरो/ कांग्रेस से बगावत करनें वाले सचिन पायलट ने अंतिम समय में भाजपा में आनें के अपने इरादें को बदल दिया। खबर है कि भाजपा के दहलीज पर पहुच गए सचिन पायलट ने वसुधंरा से मिलें संदेश के बाद अपने कदम खीच लिए। भाजपा के तमाम बड़े नेता चाहतें थें कि पायलट बीजेपी में शामिल हो जाए। सचिन पायलट के भाजपा से दूरी के पीछें वसुंधरा के संदेश और सचिन के विधायकों का विरोध प्रमुख कारण माना जा रहा है।
वसुंधरा ने सिन्धिया से कहा था, पायलट को बीजेपी से दूर रखें
सूत्र बताते है कि गहलोत सरकार से विद्रोह कर दिल्ली आने के बाद पायलट ने ज्योतिरादित्य सिन्धिया से मुलाकात की थी। इस बैठक के बाद सिंधिया ने अपनी बुआ और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा से फोन पर चर्चा की थी। सिंधिया ने पायलट के भाजपा में भविष्य को लेकर वसुधंरा से विचार विमर्श किया था। सूत्रों की माने तो वसुधंरा ने पायलट को बीजेपी से दूर रहने की सलाह सिंधिया को दी थी। वंसुधरा ने यह भी कहा कि यदि सचिन बीजेपी में आते है तो केन्द्र की राजनीति का रूख करें। राजस्थान की राजनीति में पायलट को सहयोग करने से वसुंधरा ने असमर्थता जताई थी।
विधायकों के विरोध ने भी राह रोकी
सूत्र बताते है कि पायलट के ज्यादातर समर्थक विधायको ने बीजेपी का दामन थामने से मना कर दिया था। पायलट कैंप के हेमाराम चौधरी, दीपेंद्र सिंह,मास्टर भंवरलाल शर्मा ने बीजेपी में असमर्थता जताई। इन विधायको का कहना है कि भाजपा विरोध की राजनीति के बाद उम्र के इस पडाव में भाजपा में जाना संभव नहीं है। सचिन के नई पार्टी बनाने पर इन विधायकों ने साथ देने का वादा किया।
राजस्थान बीजेपी मे दर्ज़न दिग्गज नेताओं के कारण भी पायलट ने कदम रोकें
सूत्र बताते है कि राजस्थान बीजेपी में दिग्गज नेताओं की उपस्थित भी पायलट के दूरी का कारण बनी। बीजेपी में वसुंधरा राजे, ओम बिड़ला, गजेंद्र शेखावत, अर्जुन मेघवाल, ओम माथुर, सतीश पुनिया जैसे नेताओ के बीच पायलट के लिए अपनी जगह बनाना आसान नही होगा।
संघ भी सहज नहीं
संघ सूत्र बतातें है कि राजस्थान संघ के कई नेता भी सचिन के भाजपा में प्रवेश के पक्ष में नहीं है। संघ ने अपनी सलाह से राज्य भाजपा को अवगत करा दिया है।
