अप्रैल में राज्यसभा की 51 सीटें खाली होनें जा रही है और सालभर के भीतर पांच विधानसभा चुनाव हार चुकी भाजपा राज्यसभा में अपनी सदस्य संख्या बरकरार रखनें के लिए ऐडीचोटी का जोर लगानें की तैयारी में है।
दिल्ली ब्यूरों/ अप्रैल में राज्यसभा की 51 सीटें खाली होनें जा रही है और सालभर के भीतर पांच विधानसभा चुनाव हार चुकी भाजपा राज्यसभा में अपनी सदस्य संख्या बरकरार रखनें के लिए ऐडीचोटी का जोर लगानें की तैयारी में है। कई राज्यों में कम विधायकों के कारण होनें वाले नुकसान को भाजपा अन्य राज्यों से भरपाई करनें या विरोधी खेमें में सेंध लगानें से पूरी करनें की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा के 15 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन सांसदों में से कुछ को भाजपा फिर से मौका देगी और कुछ सांसदों के स्थान पर नए नेताओं को मौका देगी। दिल्ली के नेता और मोदी सरकार में मंत्री रह चुकें विजय गोयल, पंजाब के संगठन प्रभारी और मध्यप्रदेश के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी ठाकूर को फिर से मौका मिलनें की संभावना कम है। इन नेताओं के दो से तीन कार्यकाल राज्यसभा के पूरें हों चुके है। बिहार से आनें वालें आरके सिन्हा भी फिर से राज्यसभा में जानें के लिए पूरा जोर लगा रहें है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता का कहना है कि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व कई यूवा नेताओं को मौका दे सकता है। पार्टी का केन्द्रीय नेतृत्व भविष्य की राजनीति को देखते हुए युवाओं को अधिक से अधिक मौका देनें के साथ ही जातिगत समीकरणों को भी ध्यान रख सकता है। भाजपा के समीकरण हरियाणा, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश व असम में राहत दे सकतें है। वही उसे गुजरात, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में कुछ नुकसान हो सकता है।
कुछ ही महीनें बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होनें जा रहें है और बिहार से उच्च सदन की पांच सिटें रिक्त हों रही है जिसमें भाजपा के पास दो और जदयू के पास तीन है। भाजपा और नीतीश बिहार में समझदारी से लड़े तों चार सीटें एनडीए के पास आ सकती है,हालाकि अभी दोनों दलों के बीच सीटों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। बिहार से सीपी ठाकूर और आरके सिन्हा का रिपीट होना आसान नहीं है।
मध्य प्रदेश से भाजपा की दो सिटें रिक्त हो रही है जों प्रभात झा व सत्यनारायण जटिया की सीटें है। नए समीकरणों में भाजपा की एक सीट ही आ सकती है। सत्यनारायण जाटिया और प्रभात झा के लिए फिर से वापसी कर पाना आसान नहीं होगा। गुजरात में भी भाजपा को एक सीट का नुकसान उठाना पड़ सकता है। चार रिक्त सीटों में तीन भाजपा के सांसद हैं। छत्तीसगढ़ में पिछलें साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। ऐसे में भाजपा को अपनी एक सीट बचाना मुश्किल होगा। राजस्थान में भी भाजपा की एक सीट कम होगी।
महाराष्ट्र में सत्ता गंवा चुकी भाजपा को इस राज्य से राज्यसभा के लिए एक सीट ज्यादा मिलना तय है। महाराष्ट्र में भाजपा की उच्च सदन से एक सीट खाली हो रही है लेकिन उसकी दो सीटें भाजपा को मिलना तय है। महाराष्ट्र से हंसराज अहिर को भाजपा राज्यसभा भेज सकती है।अगर भाजपा अपने समीकरण ठीक से बिठा दे तो उसें एक सीट और मिल सकती है। हरियाणा और हिमाचल से भाजपा को राहत मिल सकेगी। इन दोनों राज्यों से भाजपा कांग्रेस से एक एक सीट छीनेंगी। नार्थ ईस्ट के राज्य असम से भाजपा एक सीट अपने खातें में लेगी तो एक सीट अपने सहयोगी बीपीएफ को दे सकती है। हाल ही में झारखंड में हार चुकी भाजपा एक सीट से अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकती है।
भाजपा महासचिव राम माधव को भाजपा इस बार राज्यसभा भेज सकती है।