भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने अपनी लंबे इंतजार के बाद अपनी राष्ट्रीय टीम की घोषणा कर दी। इस टीम में कई नए चौकानें वाले नामों को जगह मिली तो कई कद्दावर नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। भाजपा के इतिहास मे ऐसा पहली बार हुआ है कि भाजपा ने एक साथ चार महासचिवों को सीधे बाहर कर दिया है। पहले भी भाजपा के महासिचवों में फेरबदल होते थे, लेकिन महासचिवों को उपाध्यक्ष बनाकर एडजस्ट कर दिया जाता था। पार्टी ने इन महासचिवों को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक बनाना मुनासिब नही समझा। इन चार महासचिवो के नाम है राम माधव, पी. मुरलीधर राव, सरोज पांडे और अनिल जैन । इन चारों महासचिवों को लेकर अलग अलग चर्चाए चल रही है। इन महासिचवों को मोदी मंत्रीमड़ल में एडजस्ट करने की चर्चाए है, लेकिन इन सभी को मोदी सरकार में जगह दे इसकी संभावना न के बराबर है।
संघ के माधव और मुरलीधर के लिए आगे की राह मुश्किल
बाहर किए गए चारों महासचिवों में से सिर्फ अनिल जैन और सरोज पांडे ही राज्यसभा से सांसद है। पार्टी ने तमाम नए चेहरों को राज्यसभा भेजा लेकिन 10 साल से महासचिव रहे और संघ पृष्ठभूमि के रहे मुरलीधर राव और संघ के प्रवक्ता रह चुके और शाह के अध्यक्ष बनने के बाद महासचिव बनाए गए राम माधव जैसे कद्दावर नेता को भी राज्यसभा भेजना पार्टी ने जरूरी नहीं समझा। ऐसे मे मोदी उनको मंत्रिमंडल मे जगह दे इसकी संभावना कम ही है।
राम माधव के राष्ट्रीय टीम से बाहर होने से सबको आश्चर्य और राम माधव को तगड़ा झटका लगा है। राम माधव ने कल्पना भी नहीं की थी कि पार्टी की राष्ट्रीय टीम से उन्हे इतने जल्दी बाहर कर दिया जाएंगा। खबर है कि राम माधव से संघ के साथ साथ भाजपा के कर्ताधर्ता नाराज थे। राम माधव के नार्थ ईस्ट और जम्मू कश्मीर में कुछ ऐसे काम किए, जिसकी पूरी जानकारी मोदी और शाह के पास पहुच गई थी। संघ भी अपने इस पूर्व प्रवक्ता के बारे में मिल रही जानकारी से असहज महसूस कर रहा था। खबर यह भी है कि कभी राम माधव के करीबी रहे आसाम के कद्दावर नेता हेमंत शर्मा ने भी राम माधव से दूरी बना ली थी और नार्थ ईस्ट में राम माधव के कई निर्णयों को लेकर अपनी आपत्ती से पार्टी प्रमुख को अवगत करा दिया था। नार्थ ईस्ट के संघ के वरिष्ठ नेता भी राम माधव के कार्यशैली से असहज थे। पार्टी और संघ मे एक बड़ा वर्ग राम माधव से नाराज था, जिसकी क़ीमत राम माधव को राष्ट्रीय टीम से बाहर होकर चुकानी पड़ीं। राष्ट्रीय टीम से बाहर होने के बाद से राम माधव ने चुप्पी साध ली है। संघ में वापस राम माधव के जाने की संभावना बेहद कम है।
दिलचस्प बात यह है कि राम माधव ने अपने ट्विटर अकाऊंट से भाजपा का संदर्भ भी हटा दिया है। अब केवल ‘इंडिया फाऊंडेशन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य’ का उल्लेख किया है। फिलहाल राम माधव ने किसी भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है।
संघ पृष्ठभूमि के दूसरे महासचिव रहे पी. मुरलीधर राव का महासचिव पद से हटना तय था। मुरलीधर राव लंबे समय से महासचिव थे और दक्षिण के महत्वपूर्ण राज्य कर्नाटक के प्रभारी थे। मुरलीधर राव को तेलंगाना में पार्टी प्रमुख बनाकर भेजे जाने की चर्चा है। मुरलीधर के स्वास्थ की समस्या भी उनके लिए समस्या है। खबर है कि कर्नाटक के प्रभारी रहतें मुरलीधर राव के कामकाज के तरीेकों से कर्नाटक से आने वाले राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और अब राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बन गए बीएल संतोष नाराज थे। स्वास्थ की समस्या और बीएल संतोष की नाराजगी मुरलीधर राव को भारी पड़ी और उन्हें राष्ट्रीय टीम से बाहर होना पड़ा।
सरोज पांडे बन सकती है मंत्री
राष्ट्रीय टीम में एकमात्र महिला महासचिव और छत्तीसगढ से आने वाली सरोज पांडे का भी राष्ट्रीय टीम से बाहर होना तय था। पार्टी ने महिला महासचिव का पद दक्षिण के किसी महिला को देने का मन बना लिया था। इस कारण पार्टी ने सरोज की जगह पुदेश्वरी देवी को महासचिव के लिए चुना। हालाकि सरोज पांडे ने महाराष्ट्र के प्रभारी रहे अच्छा प्रदर्शन किया था। सरोज पांडें संगठन में लंबा वक्त बिता चुकी है। राज्यसभा सांसद है। ऐसे में उनके सरकार में शामिल होने की पूरी संभावना है।
हरियाणा के प्रभारी रहे और राज्यसभा में भेजे गए अनिल जैन का राष्ट्रीय टीम से बाहर होना भी तय था। हरियाणा के प्रभारी रहते अनिल जैन के सरकार के कामकाज मे हस्तक्षेप और अपने करीबी लोगो की नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर दबाव बनाने की खबर दिल्ली पहुच गई थी। जानकार बताते है कि अनिल जैन के कारनामों की शिकायत खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से की थी। अनिल जैन के समर्थक तमाम आरोपों को नकारते हुए कहते है कि मोदी मंत्रीमड़ल में उनकों जगह मिलना तय है।
मोदी सरकार में कौन जगह बना पाता है और कौन नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बता पाएंगा लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय टीम से बाहर किए गए चारों महासचिवों के लिए अपने आप को फिर से स्थापित करना आसान नहीे होगा। उनके सामने एक चुनौती है और उससे यह नेता कैसे पार पातें है यह तो आने वाला वक्त ही बताएंगा।