धारा 370 हटने के बाद पहली बार जम्मू कश्मीर में सरकार गठन को लेकर केंद्र सरकार ने तैयारी तेज कर दीं है
2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। अब तक राज्य में सरकार का कार्यकाल विशेष प्रावधान के तहत 6 साल के लिए होता था लेकिन अब पहली बार प्रदेश में बनने वाली सरकार का कार्यकाल भी 5 साल का ही होगा।
चुनाव आयोग से जुड़े सूत्र ने बताया है कि परिसीमन का काम पूरा हो चुका है। संशोधित मतदाता सूची 31 अक्टूबर तक जारी की जा सकती है। मतदान केंद्र फाइनल करने का काम भी अंतिम चरण में है। अगले महीने तक इसे भी पूरा कर लिया जाएगा।
अब 90 सीटों की होगी विधानसभा
पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मिला कर विधानसभा की कुल 87 सीटें थीं। इसमें 4 सीटें लद्दाख की शामिल थी, लेकिन लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 83 सीटें रह गई थीं।
परिसीमन के बाद 7 सीटें बढ़ी हैं। इसके बाद कुल सीटों की संख्या 90 हो गई है। इसमें जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा क्षेत्र बनाए गए हैं। 9 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए रिजर्व की गई हैं।
हिंदू बहुल जम्मू कैसे अब मुस्लिम वाले कश्मीर पर भारी पड़ेगा?
अभी जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम बहुल वाले कश्मीर में 46 सीटें हैं और बहुमत के लिए 44 सीटें ही चाहिए। हिंदू बहुल इलाके जम्मू में 37 सीटें हैं। परिसीमन के बाद यह गणित बदल जाएगा। नए परिसीमन के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की कुल 90 सीटों में से अब 43 जम्मू में और 47 कश्मीर में होंगी। साथ ही 2 सीटें कश्मीरी पंडितों के लिए रिजर्व करने का सुझाव दिया गया है।
इन बदलावों के बाद जम्मू की 44% आबादी 48% सीटों पर वोटिंग करेगी। कश्मीर में रहने वाले 56% लोग बची हुई 52% सीटों पर मतदान करेंगे। अभी तक कश्मीर के 56% लोग 55.4% सीटों पर और जम्मू के 43.8% लोग 44.5% सीटों पर वोट करते थे
