नेशनल ब्यूरो। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते कदम के बाद दिल्ली की कमान संभाल चुके गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली के लैफ्टिनैंट गवर्नर अनिल बैजल के काम करने का तरीका पसंद नही आ रहा है। अरविंद केजरीवाल पर लगाम लगाने और केंद्र के इशारे पर काम करने के लिए दिल्ली के लैफ्टिनैंट गवर्नर बनाये गए अनिल बैजल अब केंद्र का भरोसा खोने के कगार पर खड़े है। विवेकानंद फाऊंडेशन से उनके संबंधों के कारण दिल्ली के लैफ्टिनैंट गवर्नर बने बैजल से अमित शाह नाराज चल रहे है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी की माने तो गृहमंत्री अमित शाह एल.जी. से इस बात के लिए नाराज हैं कि वह दिल्ली में कोरोना संकट से ठीक से नहीं निपट सके। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, भाजपा द्वारा चलाई जा रहे तीनों नगर निगमों तथा अन्य राजनीतिक दलों को साथ लेकर चलने की अपनी जिम्मेदारी निभाने में बैजल विफल रहे। बैजल को पहला झटका 21 जून को लगा, जब अमित शाह ने खुद उस बैठक की अध्यक्षता की जिसमें एल.जी., सी.एम., एम.सी.डी. प्रमुख तथा अन्य राजनीतिक दलों के नेता उपस्थित थे। इस बैठक में बैजल के उस निर्णय को समाप्त कर दिया गया, जिसमें बैजल ने खुद ही यह फैसला किया था कि कोई भी कोरोना मरीज जिसे चाहे हल्का लक्षण ही क्यों न हो, उसे घर में क्वारंटाइन रहने की बजाय अस्पताल जाना होगा।
बैठक के बाद भी बैजल ने अपने फैसले के खिलाफ अमित शाह के फैसले को तुरंत लागू नहीं किया। इस पर आम आदमी पार्टी भड़क उठी और उसने आरोप लगाया कि सरकार के स्वास्थ्य केंद्रों में इतनी सुविधा नहीं है कि वह इतनी बड़ी संख्या में कोरोना मरीजों से निपट सके। जब यह आरोप लगा कि एल.जी. प्राइवेट अस्पतालों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं तो बवाल मच गया। इस पर नाराज अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से बैजल को निर्देश दिया, तब जाकर चार दिन बाद उन्होंने अपना फैसला वापस लिया।
इसके बाद एक और झटका तब लगा, जब अमित शाह 28 जून को छतरपुर स्थित राधास्वामी सत्संग ब्यास परिसर में बनाए गए 10,000 बिस्तरों के क्वारंटाइन सैंटर का उद्घाटन करने गए। उन्होंने सिर्फ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने साथ लिया और बैजल को पूछा तक नहीं। यह एल.जी. के लिए बड़ी सार्वजनिक झिड़की थी। तब से अनिल बैजल राजनीतिक रूप से होम क्वारंटाइन हैं। जानकार मानते हैं कि एल.जी. के दिन अब गिनती के हैं।
