दिल्ली ब्यूरों/ मध्य प्रदेश के दमोह विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार राहुल सिंह लोधी की हार को भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। पार्टी सूत्र बताते है कि केन्द्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन से हार पर विस्तृत रिपोर्ट भेजने के लिए और जिम्मेदारी तय करने को कहा है।
शिवराज ने केन्द्र को दिया था जीत का भरोसा
भाजपा के राष्ट्रीय नेता की मानें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह सीट पर भाजपा का परचम लहराने का भरोसा केन्द्रीय नेतृत्व को दिया था। शिवराज ने कहा था कि कांग्रेस के पास न नेता है, न जनता है और नहीं प्रदेश संगठन मे एकजुटता। शिवराज ने दमोह सीट जीतने की पूरी जिम्मेदारी लेकर केन्द्रीय नेतृत्व को आश्वस्त रहने के लिए कहा था।
शिवराज की चार सभाएं और पूरे कैबिनेट का डेरा डालना काम न आया।
कांग्रेस से भाजपा में आए और भाजपा के टिकट पर ताल ठोक रहे राहुल सिंह को कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन ने 17 हजार वोट के अधिक अंतर से हरा दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल लोधी के लिए चार जनसभाएं की थीं। सीएम शिवराज के साथ ही कैबिनेट मंत्रियों ने भी दमोह में डेरा डाल दिया था। प्रदेश संगठन और सरकार की पूरी ताकत लगने के बाद भी भाजपा की करारी हार ने केन्द्रीय नेतृत्व को सकते में ला दिया है।
कोरोना का कारण मानने को तैयार नहीं केन्द्रीय नेतृत्व
भाजपा के केन्द्रीय नेता और मध्यप्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले नेता ने साफ कहा कि कोरोना का बहाना एक बचकाना बहाना है। इसी कोरोना काल में हम अन्य राज्यों में भी हुए उपचुना में जीतें है। ऐसे में कोरोना का बहाना लेकर अपनी कमियों को छुपाने का काम प्रदेश संगठन नहीं कर सकता है।
दूसरे दलों से आए नेताओं को मिल रहें महत्व से पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी कारण
मध्यप्रदेश से आने वाले और केन्द्रीय टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि प्रथम दृष्टि और प्रारंभिक तौर पर प्रदेश से मिल रहे फीड़बैक के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भाजपा में दूसरे दलों आए नेताओं को मिल रहा महत्व और अपने समर्पित कार्यकर्ताओं की हो रही उपेक्षा को भी हार का एक कारण के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि भाजपा के टिकट पर हारे राहुल सिंह लोधी पहले कांग्रेस में थे और पाला बदलकर भाजपा का दामन थामा था। राहुल को उम्मीदवार बनाने से दमोह भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं और संघ के स्वयसेवकों को लगातार नजरअंदाज करने की खबरे आ रही थी। प्रदेश संगठन कार्यकर्ताओ की नाराजगी को भापने और दूर करने में पूरी तरह असफल रहा। जिसके कारण भाजपा को तमाम संसाधन झोकने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा।