दिल्ली ब्यूरों
असम में स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री पद को लेकर दुविधा में फंसी बीजेपी हाईकमान ने आखिरकार आज दिल्ली में असम के मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगा दी है। भाजपा के केन्द्रीय नेताओं में इस बात को लेकर आम राय नहीं बन पा रही थी कि असम मे साफ सुथरी सरकार देने वाले और संघ के करीबी सोनोवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाएं या गठबंधन दलों को साधनें में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने,पूर्वोत्तर के राज्य दर राज्य भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभानें वालें,एनआरसी-सीएए पर असम में डेमेंज कट्रोल करने वाले और चुनाव में फिर से भाजपा की सरकार बनानें में सक्रिय भूमिका अदा करने वालें हिंमत विस्व सरमा को मुख्यमंत्री पद का तोहफा दिया जांए।
भाजपा नेताओं में थे मतभेद
भाजपा के विश्वस्त सूत्र बताते है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में किसी एक नाम पर सहमति नहीं थी। भाजपा अध्यक्ष नड्डा और संघ सर्वानंद सोनवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, वही अमित शाह और असम में भाजपा के सहयोगी दल हिमंत विस्व सरमा को मुख्यमंत्री पद देने के पक्ष में थे। विधायकों का एक बड़ा वर्ग हिंमता विस्व सरमा के नाम पर दबाव बना रहा था।
सूत्रों की मानें तो असम के चुनाव प्रभारी की जिम्मेंदारी निभा चुके केन्द्रीय मंत्री नरेंन्द्र सिंह तोमर ने भी हिंमता विस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी थी।
नड्डा के घर चली बैठक में शाह ने लगाई हिंमत विस्व सरमा पर मुहर
असम के मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगाने के लिए भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने शनिवार को दिल्ली के अपने आवास पर बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री पद के दावेदार हिमत विस्व सरमा और फिर से असम की कमान संभालने की कोशिश मे जुटें सर्वानंद सोनवाल एयरपोर्ट से सीधे नड्डा के घर पहुचे। इस बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और अमित शाह भी मौजूद थे। सूत्र बताते है कि इस बैठक में असम और उत्तरपूर्वी राज्यों में पार्टी को मजबूत करने के लिए और वर्तमान परिस्थिति में हिमंता विस्व सरमा को कमान देने का निर्णय लिया गया। इस बात की संभावना है कि सोनोवाल को पार्टी केन्द्र में कोई जिम्मेंदारी दे।
विधायक दल की बैठक में होगी घोषणा
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की माने तो दिल्ली में भाजपा मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर यह संदेश नहीं देना चाहती कि मुख्यमंत्री के नाम का फैसला दिल्ली मे हुआ। भाजपा विधायक दल की औपचारिक बैठक बुलाकर उसमें हिंमत विस्व सरमा के नाम की घोषणा करना चाहती है और इस कारण भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने दिल्ली में घोषणा करने से बेहतर विधायक दल की बैठक तक इंतजार करने का विकल्प अपनाया।