उत्तर प्रदेश में पीलीभीत (Pilibhit) से बीजेपी (BJP) सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) के पार्टी के खिलाफ बयानबाजी लगातार जारी रहने के बाद अब यह तय है की वरुण गांधी 2024 का लोक सभा चुनाव भाजपा से नही लड़ेंगे. भाजपा भी उन्हें टिकट नहीं देगी यह भी तय है. भाजपा के सूत्र बताते है की वरुण और उनकी माँ मेनका क़ो भाजपा 2024 में लोकसभा टिकट नही देगी. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इन सीटों पर नए चेहरों की खोज शुरू कर दी है.
पिछले 2 साल से अधिक समय से जिस तरह के उनके लेख प्रमुख पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं. साथ ही पिछले महीने एक जनसभा में उनका संबोधन हतप्रभ करने वाला था.
इस जनसभा में वरुण गांधी ने कहा था कि ना तो मैं नेहरू जी के खिलाफ हूं, ना ही कांग्रेस के खिलाफ हूं. हमारी राजनीति देश को आगे बढ़ाने के लिए होनी चाहिए ना कि गृह युद्ध पैदा करने के लिए. आज जो लोग केवल धर्म और जाति के नाम पर वोट मांग रहे हैं, हमें उनसे ये पूछना चाहिए कि रोजगार, शिक्षा, चिकित्सा का क्या हाल है.
वरुण गांधी ने जनसभा में कहा था कि हमें ऐसी राजनीति नहीं करनी है, जो लोगों को दबाए, बल्कि हमें वो राजनीति करनी है जो लोगों को उठाए. धर्म और जाति के नाम पर वोट लेने वालों से हमें ये पूछने की जरूरत है कि वे रोजगार, शिक्षा या स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दों पर वह क्या कर रहे हैं. हमें ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए जो लोगों को भड़काने या उनका दमन करने में विश्वास करती हो. हमें ऐसी राजनीति करनी चाहिए जो लोगों का उत्थान करे.
वरुण कांग्रेस में भी जा सकते है. भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के यूपी पहुंचने से पहले कांग्रेस (Congress) सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने उनपर बयान दिया. जिसके बाद बीजेपी सांसद के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें चली.
तब बीजेपी सांसद ने अपने बयान में कहा था, “इस देश को जोड़ने की राजनीतिक होनी चाहिए, तोड़ने की नहीं. भाई को भाई से टकराने की राजनीति नहीं होनी चाहिए. लोगों को हिंदू मुसलमान की राजनीति नहीं चाहिए. बेरोजगारी पर बात होनी चाहिए. भूखमरी पर बात होनी चाहिए. इसके अलावा बेरोजगारी पर बात होनी चाहिए.”
सूत्रों के अनुसार बीजेपी सांसद से बहन प्रियंका गांधी लगातार बात कर रहीं हैं. हालांकि सूत्रों का दावा है कि दोनों के बीच बातचीत होती है. दोनों भाई-बहन हैं इस वजह से उनकी बातचीत कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन सूत्रों के अनुसार अब ये बातचीत राजनीतिक होती जा रही है.
वहीं वरुण गांधी के हालिया भाषण ने अब तय है की वह अब अपने राजनीतिक भविष्य पर अंतिम निर्णय लेने की ओर बढ़ सकते हैं. हालांकि कई क्षेत्रीय दल ऐसे हैं जो गांधी टैग वाले और एक आक्रामक नेता के रूप में पहचान रखने वाले वरुण को अपनी पार्टी में शामिल करने के लिए तैयार थे. इसमें शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) या अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (SP) शामिल हैं.
इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं मिल सका है कि वह अपने फैसले को लेकर टालमटोल क्यों कर रहे हैं. जबकि सत्ताधारी पार्टी में उनकी ‘घुटन’ साफ तौर पर झलक रही है. विश्लेषकों का मानना है कि शायद वह पार्टी के दिग्गजों द्वारा अपने खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं. लेकिन अंतिम कदम वरुण गांधी को ही उठाना होगा. अगर वह इसके लिए एक उपयुक्त समय की तलाश कर रहे थे, तो उस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए उनका हालिया भाषण इसकी शुरुआत माना जा सकता है.
अगर वरुण गांधी कांग्रेस की ओर रुख करते हैं तो उनका पार्टी में क्या स्थान होगा, ये बहुत हद तक राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर निर्भर करेगा. हालांकि वरुण गांधी की चचेरी बहन प्रियंका गांधी उनके प्रति काफी उदार मानी जाती हैं. लेकिन वरुण की कांग्रेस में एंट्री पर राहुल और सोनिया गांधी की फाइनल मुहर लगना भी जरूरी है.
