नई दिल्ली: उत्तर भारत में अपने प्रदर्शन के शीर्ष पर मौजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दक्षिण के राज्यों पर फोकर करना शुरू कर दिया है। दक्षिण में कर्नाटक ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहा भाजपा की सरकार है और उस राज्य में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले है।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि उत्तर में कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। बिहार में नीतीश के अलग होने के बाद भाजपा को बिहार से ही दस सीटों के नुकसान का अनुमान है। भाजपा इन नुकसान को दक्षिण से भरना चाहती है और इस कारण 50 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी के अनुभवी कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेंदारी देने की रणनीति पर भाजपा के रणनीतिकार काम कर रहे है। गौरतलब है कि केरल में 20, आंध्र प्रदेश में 25, तमिलनाडु में 39, तेलंगाना में 17 और कर्नाटक में 28 लोकसभा सीटें हैं.
दक्षिण में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए भाजपा ने हैदराबाद में एक प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया था जिसमें देश के दक्षिणी राज्यों की 50 लोकसभा सीटों को टारगेट करने की पूरी योजना तैयार की गई है। इस प्रशिक्षण शिविर में भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएल संतोष, सुनील बंसल, तरुण चुघ और विनोद तावड़े ने हिस्सा लिया था.हैदराबाद में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में भाजपा कार्यकर्ताओं को अगले साल दक्षिण में पार्टी को मजबूत करने का लक्ष्य दिया गया है ताकि भाजपा फिर से 2024 लोकसभा में भारी संख्या में सीटें जीतकर सरकार बनाए.
सूत्रों ने कहा, ‘सरकार के कार्यों को जनता के सामने कैसे लाया जाए, इसको लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है. भाजपा का मुख्य ध्यान तेलंगाना पर है, इसके बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल हैं. भाजपा मुख्य रूप से इन राज्यों में काम करेगी क्योंकि कर्नाटक में पहले से ही भाजपा की सरकार है. पार्टी कर्नाटक में भी कुछ सीटों को मजबूत करेगी, लेकिन मुख्य ध्यान इन चार राज्यों पर है, जिसके लिए उसने 50 सीटों की भी पहचान की है.
भाजपा का आकलन है कि अगर उसे 2024 में 303 से ज्यादा सीटें हासिल करनी हैं तो दक्षिण की सीटों को सुनियोजित तरीके से टारगेट करना होगा और अब बीजेपी ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है.’सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने दक्षिणी राज्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दो महासचिवों, एक सुनील बंसल और दूसरे तरुण चुघ को नियुक्त किया है.
सूत्रों ने बताया, ‘उत्तर प्रदेश में मोदी-योगी के महा विकास मॉडल के डबल इंजन के तहत तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश से लोगों को वाराणसी बुलाया जा रहा है. कुछ लोगों को गुजरात भी भेजा गया है.’
सूत्रों ने आगे कहा कि काशी तमिल समागम कार्यक्रम भी वाराणसी में आयोजित किया गया था क्योंकि तमिलों का काशी से पुराना रिश्ता है.यह कार्यक्रम 17 नवंबर से 16 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था और इसका उद्देश्य काशी और तमिलनाडु के बीच के रिश्ते को तलाशना था. महीने भर चलने वाले इस आयोजन में तमिलनाडु के सैकड़ों प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
यह कार्यक्रम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था.
