मणिपुर मे सरकार गवाने के मुहाने पर बैठी भाजपा ने अमित शाह के रणनीतिक कौशल के दम पर मणिपुर की हारी हुई राज्यसभा सीट को अपने पाले में करने मे सफलता हासिल की।
मणिपुर में एक सीट बीजेपी ने किंग लीशेंबा को उतारा जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक टी. मंगीबाबू को टिकट दिया था। चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा जब मणिपुर हाई कोर्ट ने एंटी-डिफेक्शन कानून का सामना कर रहे 7 कांग्रेस विधायकों पर स्पीकर के आदेश तक विधानसभा में एंट्री पर पाबंदी लगा दी। चुनाव से ठीक पहले विधानसभा स्पीकर ने सात में चार विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया, जबकि बाकी तीन को वोटिंग की इजाजत दे दी।
राज्यसभा सीट संकट मे फसते देख अमित शाह ने कमान संभाली और कांग्रेस के विधायक इमो सिंह को फ़ोन करा। इमो सिंह, आरके बीरचंद्र सिंह के बेटे हैं, जो राजीव गांधी कैबिनेट में मंत्री रहे हैं। ये गांधी परिवार के वफादारों में रहे हैं। लेकिन इमो सिंह की एक और पहचान है, वो बीजेपी नेता और मुख्मयंत्री बीरेन सिंह के दामाद भी हैं। इसके बावजूद वो कांग्रेस के साथ रहे। हालांकि, उनके आलोचक कहते हैं कि इमो सिंह ने दोनों हाथों में लड्डू रखे। लेकिन बात जब ससुर की गद्दी पर आई और अमित शाह का फ़ोन आया तो इमो सिंह ने पार्टी से बगावत कर ली। राज्यसभा चुनाव में इमो सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने अमित शाह के कहने पर एक अन्य कांग्रेस विधायक ओकराम हेनरी को भी बीजेपी के पक्ष में वोट करने के लिए मना लिया।
दिलचस्प बात ये है कि ओकराम हेनरी पूर्व सीएम इबोबी सिंह के भतीजे हैं. लेकिन हिमंता बिस्वा शर्मा के फोन कॉल और मंत्रिपद के वादे ने हेनरी को पाला बदलने पर मजबूर कर दिया। यही वजह रही बीजेपी उम्मीदवार 28 वोट पाकर राज्यसभा चुनाव जीत गए जबकि कांग्रेस कैंडिडेट को सिर्फ 24 वोट ही मिले।
