रांची/
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रांची में स्वयसेवकों को संबोधित करतें हुए कहा कि हिन्दू समाज का संगठित होना देशहित में है। समाज संगठित रहेंगा तो देश सुरक्षित रहेेगा। भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज को संगठित करना ही संघ का काम है और संघ इसी काम में दिनरात जुटा है। संघ के पास कोई दूसरा काम नहीं है। भागवत ने आगे कहा कि हिंदुत्व के भाव से राष्ट्रीय भावना को प्रबल करते हुए एक समतामूलक और शोषणरहित समाज की स्थापना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य है। संघ की नीतियां और कार्यपध्दति समाज के लिए अनुकरणीय है।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की अगुआई में रांची में पांच दिनों का महानगर का संघ समागम शुरू हुआ। राजधानी के मोरहाबादी में रामदयाल मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित थें। अपने पांच दिवसीय दौरे के दौरान मोहन भागवत संघ के स्वयसेवकों और पदाधिकारीयों के साथ देश-दुनिया के ज्वलंत मसलों पर अलग-अलग सत्रों में गंभीर मंथन और विचार विमर्श करेंगे इस दौरान स्वयसेवकों ने शारीरिक प्रदर्शन और कौशल का प्रदर्शन किया।
भागवत ने कहा हिन्दू समाज को संगठित करने के अलावा संघ का कोई अन्य कार्य नही है। हिंदुत्व के भाव से राष्ट्रीय भावना को प्रबल करते हुए एक समतामूलक और शोषणरहित समाज की स्थापना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य है। संघ की नीतियां और कार्यपध्दति समाज के लिए अनुकरणीय है। लेकिन इसका ये अर्थ नही की संघ सभी मामलों में हस्तक्षेप करता है, ऐसे लोग कहते है, इमरान खान भी कहते हैं , लेकिन स्वयंसेवक अपने उद्देश्य के प्रति संकल्पित है।
उन्होंने स्वयंसेवको को संबोधित करते हुए कहा कि अपने संस्कृति पर गर्व करते हुए देश को परम वैभव तक पहुंचाने के लिए कार्य करे। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए सबलोगों को साथ लेकर चलने का कार्य संघ करता है। स्वयंसेवक समाज में एक आदर्श रूप में प्रस्तुत हो। और ये आदर्श संघ की नित्य शाखा से ही संभव है। संघ की भाषणों से ही भारत विश्व गुरु बनेगा ऐसा नही है, शाखा की नित्य साधना को अपने व्यवहार में उतारना होगा। राष्ट्रनिर्माण के कार्य में ना ही कोई आपको धन्यवाद देगा ना कोई आभार प्रकट करेगा।
उन्होंने आगे कहा देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे, इस गीत को व्यवहार में उतारिए। समाज में कोई भी आपत्ति विपत्ति आये संघ के स्वयंसेवकों को दौड़ कर आगे आना चाहिए। हमारा समाज सम्पूर्ण विश्व को कुटुंब मानता है, इस धरना को समाज में स्थापित करना है। सरसंघचालक के उद्बोद्धन के पूर्व स्वयंसेवकों ने योग व्यायाम, दण्ड प्रहार सूर्य नमस्कार आदि का प्रदर्शन किया।